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Friday, December 28, 2018




क्या आप करते है ये घरेलु उपाय इस खतरनाक बीमारी के लिए ?? ये लेख आपके लिए ही बनाया गया है बहुत सारे डॉक्टरों की टीम से बात करने के बाद। इसे जरूर पढ़े और कमेंट में अपना प्रश्न  पूछ  सकते है।

थायरॉइड की समस्या आजकल बहुत ही आम हो गयी है पहले ऐसा माना जाता था कि थायरॉइड की समस्या करीब 40 से ज्यादा की उम्र में ही होती थी लेकिन आजकल तनाव, खानपान और रहन सहन के तरीकों की वजह से आप इस बीमारी को किसी भी ऐज ग्रुप में देख सकते है, यह दो प्रकार का होता है-
1.
हाइपोथायरॉइडिज्म: इसमें वजन बढ़ने लगता है और भूख कम लगती है, हाथ पांव में सूजन आ जाती है और हमेशा सुस्ती और ठंड लगने लगती है।
2.
हाइपरथायरॉइडिज्म: इसमें मरीज का वजन कम हो जाता है और उसे बार-बार भूख लगती है।
थायरॉइड की समस्या ज्यादातर महिलाओं में देखने को मिलती है, थायरॉइड नामक एक ग्रंथि हमारी बॉडी पायी जाती है जिसमें थायरॉक्सिन हॉर्मोन स्रावित होता है, इसी हॉर्मोन की मात्रा कम या ज्यादा होने से इस समस्या का सामना करना पड़ता है। आज हम आपसे थायरॉइड की समस्या से बचाव के घरेलू नुस्खों (Home Remedies For Thyroid Problem) के बारे में बात करेंगें।

थायरॉइड की समस्या को दूर करने के घरेलू उपाय (Home Remedies For Thyroid Problem) :-

1. 
थायरॉइड की समस्या को कम करने में नारियल का पानी बहुत ही लाभकारी होता है।
2. 
थायरॉइड के मरीजों को चावल, मैदा, मिर्च-मसाले, खटाई, मलाई, अंडा, अधिक नमक का प्रयोग करना बंद कर देना चाहिये और सादा नमक की जगह पर सेंधा नमक का इस्तेमाल करना चाहिये।
3. 
थायराइड से पीड़ित रोगी को तली-भुनी चीजें, चीनी, चाय, कॉफी, शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
4. 
थायराइड की समस्या वाले लोगों को दही और दूध का इस्तेमाल अधिक से अधिक करना चाहिए क्योंकि दूध और दही में अधिक मात्रा में कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स पाये जाते है।
5. 
अखरोट और बादाम के सेवन से थॉयराइड की प्रॉब्लम को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।
6. 
थायरॉइड में मरीजों को सोयाबीन, जंक/फ़ास्ट फ़ूड, ब्रोकली, फूलगोभी, बंदगोभी, मूली आदि का सेवन बिल्कुल बंद कर देना चाहिये।
7. 
थायरॉइड के मरीजों को अपनी रोजाना की डाइट में पनीर, हरी मिर्च, टमाटर, प्याज, मशरुम, गाजर आदि चीजों को जरूर शामिल करना चाहिये।
8. 
थायरॉइड की समस्या को दूर करने के खाना बनाने में नारियल तेल का इस्तेमाल करना चाहिये और रोजाना भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिये।
9. अखरोट और बादाम:- अखरोट और बादाम में सेलेनियम नामक तत्‍व पाया जाता है जो थॉयराइड की समस्‍या के उपचार में फायदेमंद है। 1 आंउस अखरोट में 5 माइक्रोग्राम सेलेनियम होता है। अखरोट और बादाम के सेवन से थॉयराइड के कारण गले में होने वाली सूजन को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है। अखरोट और बादाम सबसे अधिक फायदा हाइपोथॉयराइडिज्‍म (थॉयराइड ग्रंथि का कम एक्टिव होना) में करता है।
10.लौकी का जूस :- रोज सुबह खाली पेट एक गिलास लौकी का जूस पिएं, फिर आधे घंटे तक कुछ भी न खाएं-पिएं थाइरॉयड से राहत मिलेगी
11.धनिए का पानी :- एक गिलास पानी में 2 चम्‍मच साबुत धनिया रातभर भिगोकर रखें। सुबह इस पानी को उबालें और इसमें चुटकीभर नमक डालकर पी लें।


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क्या आप करते है ये घरेलु उपाय इस खतरनाक बीमारी के लिए

क्या आप करते है ये घरेलु उपाय इस खतरनाक बीमारी के लिए ?? ये लेख आपके लिए ही बनाया गया है बहुत सारे डॉक्टरों की टीम से बात करने के ...

Monday, December 17, 2018

साइलेंट किलर नाम से मशहूर इस बीमारी को बहुत ही खतरनाक माना जाता है।  आइये जानते है क्या इस इस बीमारी का उपाय 

थायराइड को साइलेंट किलर माना जाता है, क्‍योंकि इसके लक्षण व्‍यक्ति को धीरे-धीरे पता चलते हैं और जब इस बीमारी के बारे में पता चलती है तब तक देर हो चुकी होती है। इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से इसकी शुरुआत होती है लेकिन ज्यादातर चिकित्‍सक एंटी बॉडी टेस्ट नहीं करते हैं जिससे ऑटो-इम्युनिटी दिखाई देती है।

आमतौर पर शुरुआती दौर में थायराइड के किसी भी लक्षण का पता आसानी से नहीं चल पाता, क्योंकि गर्दन में छोटी सी गांठ सामान्य ही मान ली जाती है। और जब तक इसे गंभीरता से लिया जाता है, तब तक यह भयानक रूप ले लेता है। थायराइड ग्रंथि शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है यानि जो खाना हम खाते हैं यह उसे उर्जा में बदलने का काम करती है। इसके अलावा यह मांसपेशियों, हृदय, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है।

थायरॉइड की समस्या आजकल बहुत ही आम हो गयी है पहले ऐसा माना जाता था कि थायरॉइड की समस्या करीब 40 से ज्यादा की उम्र में ही होती थी लेकिन आजकल तनाव, खानपान और रहन सहन के तरीकों की वजह से आप इस बीमारी को किसी भी ऐज ग्रुप में देख सकते है, यह दो प्रकार का होता है-
1. हाइपोथायरॉइडिज्म: इसमें वजन बढ़ने लगता है और भूख कम लगती है, हाथ पांव में सूजन आ जाती है और हमेशा सुस्ती और ठंड लगने लगती है।
2. हाइपरथायरॉइडिज्म: इसमें मरीज का वजन कम हो जाता है और उसे बार-बार भूख लगती है।
थायरॉइड की समस्या ज्यादातर महिलाओं में देखने को मिलती है, थायरॉइड नामक एक ग्रंथि हमारी बॉडी पायी जाती है जिसमें थायरॉक्सिन हॉर्मोन स्रावित होता है, इसी हॉर्मोन की मात्रा कम या ज्यादा होने से इस समस्या का सामना करना पड़ता है। आज हम आपसे थायरॉइड की समस्या से बचाव के लिए हम आपको बता रहे है बहुत लाभदायक योगासन के बारे में ।

1. भुजंगासन : भुजंगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन के तरह उठाया जाता है। भुजंगासन की जितनी भी फायदे गिनाए जाएं कम है। भुजंगासन का महत्व कुछ ज्यादा ही है क्योंकि यह सिर से लेकर पैर की अंगुलियों तक फायदा पहुंचाता है। अगर आप इसके विधि को जान जाएं तो आप सोच भी नही सकते यह शरीर को कितना फायदा पहुँचा सकता है। 
भुजंगासन कैसे करे : 
  • आप सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं।
  • अब अपने हथेली को कंधे के सीध में लाएं।
  • दोनों पैरों के बीच की दुरी को कम करें और पैरों को सीधा एवं तना हुआ रखें।
  • अब साँस लेते हुए शरीर के अगले भाग को नाभि तक उठाएं।
  • ध्यान रहे की कमर पर ज़्यदा खिंचाव न आये।
  • अपने हिसाब से इस आसान को बनाए रखें।
  • योगाभ्यास को धारण करते समय धीरे धीरे स्वाँस लें और धीरे धीरे स्वाँस छोड़े।
  • जब अपनी पहली अवस्था में आना हो तो गहरी स्वाँस छोडते हुए प्रारम्भिक अवस्था में आएं।
  • इस तरह से एक चक्र पूरा हुआ।
  • शुरुवाती दौर में इसे 3 से 4 बार करें।
  • धीरे धीरे योग का धारण समय एवं चक्र की नंबर को बढ़ाएं।



2. नाड़ी शोधन: नाड़ी शोधन प्राणायाम के मुख्य प्रकारों में एक है। नाड़ी शोधन प्राणायाम शरीर की अशुद्धियों को दूर करने के लिए किया जाने वाला प्राणयाम है। अन्य प्राणायाम की तरह इस प्राणायाम में भी सांस लिया और छोड़ा जाता है। नाड़ी शोधन प्राणयाम से खून तो साफ़ होता ही है साथ ही खून में ऑक्सीजन का स्तर भी बढ़ जाता है। आइए जानते हैं कि कैसे नाड़ी शोधन प्राणयाम किया जाता है

नाड़ी शोधन प्राणयाम करने का तरीका:


पालथी मार कर बैठ जाएं: 
सबसे पहले पालथी मार कर बैठें। दायें पैर को बाएं पैर के ऊपर और बाएं पैर को दायें पैर के ऊपर रखें। अपने दोनों हाथ अपने जांघों पर रखें और रिलैक्स हो जाएं और अपनी आंखें बंद करें। यह प्राणायाम करने के लिए किसी साफ सुथरे कमरे का चुनाव करें।
दायीं नाक बंद करें: 
अपने दायें हाथ को अपने चेहरे की तरफ लायें और अपने दायें हाथ के अंगूठे से दायीं नाक को बंद करें।
बायीं नाक से सांस ले: 
दायीं नाक बंद करने के बाद अपनी बायीं नाक से धीरे-धीरे एक गहरी सांस लें। जब फेफड़े हवा से भर जाए तब उतने समय के लिए सांसें रोके जितने समय में आपने सांस ली थी। धीरे धीरे सांसों को छोड़ें। सांस छोड़ने में भी उतना समय लगायें जितना आपने सांस लेने में लिया था। पूरी तरह से सांस छोड़ने के बाद दायीं नाक से अंगूठा हटायें और दोनों हाथों को अपने जांघ पर वापस रख लें।
बायीं नाक बंद करें: 
अपने बाएं हाथ को अपने चेहरे की तरफ लायें और अपने बाएं हाथ के अंगूठे से बायीं नाक को बंद करें।
दायीं नाक से सांस लें: 
अपने दायीं नाक से धीरे-धीरे एक गहरी सांस लें। जब फेफड़े हवा से भर जाए तो अपनी सांस रोके। फिर धीरे-धीरे सांस छोड़े। सांस छोड़ने में भी उतना समय लगायें जितना आपने सांस लेने में लिया था।

नाड़ी शोधन प्राणयाम करने दौरान निम्नलिखित सावधानियां बरतें: 
*नाड़ी शोधन प्राणयाम करते समय सांस उतना हीं रोकें जितना आपका सामर्थ्य हो।
*अगर आप अस्थमा के मरीज हैं या फिर किसी भी तरह के हृदय रोग से पीड़ित हों तो ये प्राणायाम न करें।
*अगर आप ज्यादा देर तक ये प्राणायाम करने में असमर्थ हो तो इसे कम समय के लिए ही करें।
*ये प्राणायाम खाली पेट ही करें।

3. मत्स्यासन: मत्स्यासन संस्कृत शब्द मत्स्य से निकला है जिसका अर्थ होता है मछली। मत्स्यासन योग पीठ के बल लेटकर किया जाने वाला आसन है। इसमें शरीर का आकार मछली जैसा प्रतीत होता है इसलिए इसको Fish Yoga Pose के नाम से भी जाना जाता है। अगर इसको सही विधि के साथ किया जाए इसके स्वस्थ लाभ अनेक हैं। मत्स्यासन योग गले एवं थाइरोइड के लिए एक उत्तम योगाभ्यास है। यह आपके पेट की चर्बी को कम करता है और कमर दर्द से राहत दिलाता है।


मत्स्यासन योग कैसे करें ?

  • साधक सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाएं।
  • धीरे-धीरे पीछे झुकें और पूरी तरह पीठ पर लेट जाएं।
  • बाएं पांव को दाएं हाथ से पकड़े और दाएं पांव को बाएं हाथ से पकड़ें।
  • कोहनियों को जमीन पर टिका रहने दें।
  • घुटने जमीन से सटे होनी चाहिए
  • अब आप सांस लेते हुए अपने सिर को पीछे की ओर लेकर जाएं।
  • या हाथ के सहायता से भी आप अपने सिर को पीछे गर्दन की ओर कर सकते हैं।
  • धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े।
  • इस अवस्था को अपने हिसाब से मेन्टेन करें।
  • फिर लंबा सांस छोड़ते हुए अपने आरम्भिक अवस्था में आएं।
  • यह एक चक्र हुआ।
  • इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।

  • थाइरोइड का इलाज मत्स्यासन से: थाइरोइड के इलाज के लिए मत्स्यासन रामबाण का काम करता है। इस आसन से गर्दन वाले हिस्से में पाए जाने वाले थाइरोइड और पारा थाइरोइड का अच्छी तरह से मालिश हो जाता है जिससे थायरोक्सिन हॉर्मोन के स्राव में मदद मिलती है। यही थायरोक्सिन हॉर्मोन थाइरोइड के इलाज के लिए एक अहम भूमिका निभाता है।
4.सर्वांगासन: सर्वा का मतलब होता है सभी। इसका अर्थ यह हुआ कि वैसा आसन जो शरीर के हर भाग या अंगों को प्रभावित करता हो। स्वस्थ के लिए इस आसन की सार्थकता यहीं तक सीमित नहीं होती है। बल्कि योग एवं योग थेरेपी में सर्वांगासन का महत्व बहुत ज़्यदा है क्योंकि यह आपके स्वस्थ के साथ साथ शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर आपको बहुत आगे तक लेकर जाता है। शायद ही कोई ऐसी परेशानी या बीमारी हो जिसको यह आसन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में प्रभावित न करता हो। यह कंधों पर खड़े होने वाला आसन है और इसे उत्तानपादासन एवं विपरीतकरणी मुद्रा का विकसित रूप कहा जा सकता है।


सर्वांगासन कैसे करें ?

  • पीठ के बल लेट जाएं।
  • हाथों को जांघों के पास रखें।
  • अब आप अपनें पैरों को पहले 30 डिग्री पर फिर 60 डिग्री और उसके बाद 90 डिग्री तक ले कर जाएं।
  • हाथों को दबाकर नितंब ऊपर की ओर उठाते हुए पांवों को सिर की ओर लाएं।
  • सहारे के लिए हथेलियां पीठ पर रखें।
  • आप अपने शरीर को सीधा इस तरह से करते हैं कि ठोड़ी छाती पर आकर लगें।
  • ठोड़ी छाती पर इस तरह से लगाते हैं की गर्दन के थाइरोइड वाले हिस्से में दबाब पड़े।
  • अपने हिसाब से इस मुद्रा को धारण करें।
  • फिर पैरों को पहले 60 डिग्री पर फिर 30 डिग्री और धीरे-धीरे मूल अवस्था में लौटें।
  • जब आप नीचे लौटते हैं तो अपने हाथों को नितंब के नीचे लाएं ताकि आप अपने शरीर को बेगैर किसी चोट के आरंभिक अवस्था में ला सके।





इन योगासनो की मदद से आप थाइरोइड जैसे खतरनाक बीमारी को भी आसानी से मात दे देंगे। 

हम आपको अगले लेख में कुछ घरेलु उपाय बताएँगे जो की थाइरोइड को ख़तम करने में वरदान साबित होगी 


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साइलेंट किलर नामक बीमारी को खत्म करे योग से ।

साइलेंट किलर नाम से मशहूर इस बीमारी को बहुत ही खतरनाक माना जाता है।  आइये जानते है क्या इस इस बीमारी का उपाय  थायराइड को साइलेंट किलर मान...

Sunday, December 16, 2018


थायराइड गर्दन में स्थित एक छोटी सी ग्रंथि होती है। तितली के आकार की इस ग्रंथि का मूल काम शरीर के पाचनतंत्र (मेटाबोलिज़्म) को नियंत्रित करना होता है। मेटाबोलिज़्म को नियंत्रित करने के लिए शरीर थायराइड हार्मोन बनाता है। यह हार्मोन शरीर की कोशिकाओं को निर्देशित करता है कि कितनी ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाना है। यदि थायराइड सही तरीके से काम करे तो शरीर के मेटाबोलिज़म के कार्य के लिए आवश्यक हार्मोन की सही मात्रा बनी रहेगी।
जैसे-जैसे हार्मोन का उपयोग होता रहता है, थायराइड उसकी जगह भरता रहता है। थायराइड रक्त की धारा में हार्मोन की मात्रा को पिट्यूटरी ग्रंथि को संचालित करके नियंत्रित करता है। जब मस्तिष्क के नीचे खोपड़ी के बीच में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि को यह पता चलता है कि थायराइड हार्मोन की कमी हुई है या उसकी मात्रा अधिक है तो वह अपने हार्मोन (टीएसएच) को समायोजित करता है और थायराइड को बताता है कि क्या करना है।
किसे होती है यह बीमारी 

यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। महिलाओं में पुरुषों के अनुपात में यह बीमारी पांच से आठ गुणा अधिक होने की संभावना रहती है। 

महिलाओ में थाइरोइड की समस्या बहुत ही आम बात हो गई है, लेकिन इसका इलाज बहुत लोगो को पता नहीं होता है और वो अंग्रेजी दवाइयों का सेवन करना शुरू कर देते है जो की बहुत हानिकारक सिद्ध होती है। इस बीमारी में महिलाओ की खूबसूरती पर ग्रहण लग जाता है उनका वजन बढ़ जाता है, शरीर का आकार ख़राब हो जाता है और चेहरे पर दाग धब्बे भी आने लग जाते है। इस लिए थाइरोइड से पीड़ित महिलाओ को जल्द से जल्द आयुर्वेदिक इलाज की तरफ जाना चाहिए । 
  • थायराइड के निम्नलिखित संभावित लक्षण हैं:
  • शारीरिक व मानसिक विकास का धीमा हो जाना।
  • 12 से 14 साल के बच्चे की शारीरिक वृद्धि रुक जाती है।
  • शरीर का वजन बढ़ने लगता है और शरीर में सूजन भी आ जाती है।
  • सोचने व बोलने की क्रिया धीमी हो जाती है।
  • शरीर का ताप कम हो जाता है, बाल झड़ने लगते हैं तथा गंजापन होने लगता है।
  • हर समय थकावट महसूस होना।
  • अक्सर और अधिक मासिक-धर्म होता है।
  • स्मरणशक्ति कमजोर होना।
  • त्वचा और बालों का सूखा और रूखा होना।
  • कर्कश वाणी।
  • सर्दी न सह नहीं पाना।
  • चिड़-चिड़ापन या अधैर्यता।
  • ठीक से नींद नहीं आना।
  • थायराइड का बढ़ जाना।
  • आंख की समस्या या आंख में जलन।
  • गर्मी के प्रति संवेदनशीलता।
  • शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाता है।
  • उत्तेजना तथा घबराहट जैसे लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं।
  • शरीर के वजन में असंतुलन पैदा होना। 
  • कई लोगों की हाथ-पैर की अंगुलियों में कम्पन उत्पन्न हो जाता है।
  • मधुमेह रोग होने की प्रबल सम्भावना बन जाती है।
थायराइड में सूजन हो जाती है। इसमें सुई चुभने जैसा दर्द होता है। यह रंग में काला, छूने में खुरदरा तथा धीरे-धीरे से बढ़ने वाला होता है। यह कभी पक भी जाता है। इसमें रोगी का मुंह मुरझाया हुआ तथा गला और तालु सूखा रहता है।

थायराइड जहां पैदा होता है उस स्थान की खाल के रंग जैसा ही होता है। यह भारी, थोड़े दर्द वाला, छूने में ठंडा, आकार में बड़ा तथा ज्यादा खुजली वाला होता है।

मोटापे के कारण होने वाले थायराइड खुजली वाला, बदबूदार, पीले रंग की, छूने में मुलायम तथा बिना दर्द का होता है। इसकी जड़ पतली तथा ऊपर से मोटी होती है जो शरीर के घटने, बढ़ने के साथ ही घटता-बढ़ता रहता है। यह तुम्बी की तरह लटकता रहता है। इसके रोगी का मुंह तेल की लक्षण तरह चिकना होता है तथा उसके गले से हर समय घुर्र-घुर्र जैसी आवाज निकलती रहती है।
यदि थायराइड की बीमारी जल्दी पकड़ में आ जाती है तो लक्षण दिखाई देने से पहले इसके  आयुर्वेदिक इलाज से यह ठीक हो सकता है। थायराइड जीवन भर रहता है। लेकिन इसके सही से रहने पर थाइराड से पीड़ित व्यक्ति अपना जीवन स्वस्थ और सामान्य रूप से जी सकता है। थायराइड का रोग अधिकतर आयोडीन की कमी से होता है। कभी-कभी थायरॉयड ग्रंथि के बढ़ने के कारण भी ऐसा होता है। इस रोग में गर्दन या ठोड़ी में छोटी या बड़ी तथा अचल अंडकोष जैसी सूजन लटकती है।
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जानिए क्यों होता है Thyroid

कही ये खतरनाक बीमारी आपको भी तो नहीं? रहे सावधान

थायराइड गर्दन में स्थित एक छोटी सी ग्रंथि होती है। तितली के आकार की इस ग्रंथि का मूल काम शरीर के पाचनतंत्र (मेटाबोलिज़्म) को नियंत्रित...

Saturday, December 15, 2018


थायराइड एक तरह की ग्रंथि होती है जो गले में बिल्कुल सामने की ओर होती है। यह ग्रंथि आपके शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है। यानी जो भोजन हम खाते हैं यह उसे उर्जा में बदलने का काम करती है। इसके अलावा यह आपके हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है। हम सभी यह जानना चाहते है कि आखिर क्या कारण हो सकते है जिनसे की थायराइड होता है पर इसके कारणों के बारे में अभी तक बहुत कम लोग जानते है। आइए हम आपको बताते है कुछ अतिसक्रिय कारण जो थायराइड में योगदान देते है।
थायराइड के कारण
1.    थायरायडिस- यह सिर्फ एक बढ़ा हुआ थायराइड ग्रंथि (घेंघा) है, जिसमें थायराइड हार्मोन बनाने की क्षमता कम हो जाती है।
2.    सोया उत्पाद- इसोफ्लावोन गहन सोया प्रोटीन, कैप्सूल, और पाउडर के रूप में सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यायदा प्रयोग भी थायराइड होने के कारण हो सकते है।
3.    दवाएं- कई बार दवाओं के प्रतिकूल प्रभाव (साइड इफैक्टप) भी थायराइड की वजह होते हैं।
4.    आयोडीन की कमी- भोजन में आयोडीन की कमी या ज्यादा इस्तेमाल भी थायराइड की समस्या में इजाफा करता है। 
5.    विकिरण थैरेपी- सिर, गर्दन और चेस्ट की विकिरण थैरेपी के कारण या टोंसिल्स, लिम्फ नोड्स, थाइमस ग्रंथि की समस्या या मुंहासे के लिए विकिरण उपचार के कारण।
6.    तनाव- जब तनाव का स्तर बढ़ता है तो इसका सबसे ज्यादा असर हमारी थायरायड ग्रंथि पर पड़ता है। यह ग्रंथि हार्मोन के स्राव को बढ़ा देती  है।
7.    परिवार का इतिहास- यदि आप के परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है तो आपको थायराइड होने की संभावना ज्यादा रहती है। यह थायराइड का सबसे अहम कारण है।
8.    ग्रेव्स रोग- ग्रेव्स रोग थायराइड का सबसे बड़ा कारण है। इसमें थायरायड ग्रंथि से थायरायड हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है। ग्रेव्स रोग ज्यादातर 20 और 40 की उम्र के बीच की महिलाओं को प्रभावित करता है, क्योंकि ग्रेव्स रोग आनुवंशिक कारकों से संबंधित वंशानुगत विकार है, इसलिए थाइराइड रोग एक ही परिवार में कई लोगों को प्रभावित कर सकता है।
9.    गर्भावस्था- थायराइड का अगला कारण है गर्भावस्था , जिसमें प्रसवोत्तर अवधि भी शामिल है। गर्भावस्था एक स्त्री के जीवन में ऐसा समय होता है जब उसके पूरे शरीर में बड़े पैमाने पर परिवर्तन होता है, और वह तनाव ग्रस्त रहती है।
10. रजोनिवृत्ति- रजोनिवृत्ति भी थायराइड का कारण है क्योंकि रजोनिवृत्ति के समय एक महिला में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते है। जो कई बार थायराइड की वजह बनती है।

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आज के दौर की सबसे खतरनाक बीमारी आखिर होती क्यों है जानिए तुरंत ।

थायराइड एक तरह की ग्रंथि होती है जो गले में बिल्कुल सामने की ओर होती है। यह ग्रंथि आपके शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है। यानी ...

Monday, December 10, 2018


सुबह उठकर आप फ्रेश फील नहीं करते? छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है? तो यह लक्षण स्लीप सिंड्रोम के हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, 4 फीसदी से अधिक लोग इस समय स्लीप सिंड्रोम से पीडि़त हैं। जानते हैं कि नींद न आने की क्या वजह हो सकती हैं?

रात में आपकी बार-बार नींद टूटती है? कितनी ही देर बिस्तर पर लेट लें, सपनों की दुनिया में खोने का चांस नहीं मिलता। और अगर नींद आ भी जाए, तो यह गहरी नहीं होती। 
अगर इस तरह के आसार हैं, तो आपको स्लीप सिंड्रोम की प्रॉब्लम है। एक सर्वे के मुताबिक, इंडिया में 93 फीसदी लोग नींद न आने की प्रॉब्लम से परेशान हैं और 58 फीसदी लोगों के रुटीन पर नींद पूरी न होने का इफेक्ट सीधा पड़ता है। 
'नींद दो तरह की होती है। गहरी नींद यानी नॉन पिड आई मूवमेंट स्लीप और कच्ची नींद, जिसे सपनों वाली नींद भी कहते हैं। अगर नॉन पिड आई मूवमेंट स्लीप 5 घंटे की भी आ जाए, तो बॉडी रिलैक्स हो जाती है, लेकिन कच्ची नींद भले ही 8 घंटे की हो, वह बॉडी को रिलैक्स नहीं करती है। वह बताती हैं कि आमतौर पर नींद न आने की वजह होती हैं टेंशन और डिप्रेशन।' इसके अलावा, लाइफस्टाइल और बॉडी पेन भी नींद न आने की वजह बनता है। अवेयरनेस  न होने से लोग इसे मामूली चीज समझते हैं और डॉक्टर से कॉन्टैक्ट नहीं करते। दरअसल, सही तरह से नींद न आना कई बीमारियों की वजह बन सकती है। 
क्यों नहीं आती होगी नींद 

टाइम फिक्स्ड न होना 


दरअसल, लोग सोने का समय फिक्स नहीं रखते। कभी 10 तो कभी 11, जब मन किया, सो गए। इसके अलावा, रात को प्रॉपर नींद न आने की वजह एक खास वजह दिन में लंबे समय तक सोना भी है। यह तय है कि अगर आप दिन में कई घंटे सो जाएंगे, तो रात को प्रॉपर नींद कतई नहीं आने वाली। अगर दिन में सोना ही है, तो 20 मिनट काफी हैं। 

सोते समय टीवी देखना 

सोते समय टीवी देखना अवॉइड करें, क्योंकि टीवी पर चल रहे प्रोग्राम्स का काफी असर आपकी नींद पर पड़ता है। टीवी पर कोई मनपसंद प्रोग्राम आ रहा है, तो सोना ही भूल गए, इससे बचें। बजाय इसके अगर आप सोने से पहले 15 से 20 मिनट बुक रीडिंग की आदत डाल लेंगे, तो आपको अच्छी नींद आएगी। स्टडीज के मुताबिक, सोने जाने से पहले टीवी पर कोई हॉरर प्रोग्राम या सेड सीन देखने से भी नींद उड़ जाती है। 

कैफीन भगाए नींद

अगर आप भी सोने से पहले एक कप कॉफी या चाय पीने के शौकीन हैंतो अब इससे तौबा करें। दरअसलकैफीननींद को लाने की जगह भगा देती है।

 इसके अलावाअगर आप रात को हैवी मील लेते हैं और वो भी ठीक सोने सेपहलेतो तय है कि आप अपने लिए बिन बुलाई आफत ला रहे हैं। हैवी स्टमक रहने से आप तो रातभर अनईजीरहेंगे कीसाथ ही आपके डाइजेस्ट सिस्टम को भी एक्स्ट्रा काम करना पड़ेगा। 

हैवी वर्कआउट 

हैवी वर्कआउट भी नींद  आने की वजह बनता है। डॉक्टर्स के मुताबिकरोजाना आधा घंटे की एक्सरसाइज हीकाफी है। इससे आपके मसल्स  जॉइंट्स का वर्कआउट होगा और आपको अच्छी नींद आएगी। सोने से पहले गर्मपानी से नहाएं। दरअसलहॉट बेद टेंशन देने वाली मसल्स को रिलैक्स करता है। 

हेक्टिक शेड्यूल 

कई बार अपने हेक्टिक शेड्यूल के चलते भी आपको प्रोपर नींद नहीं  पाती। बारबार ध्यान उन चीजों की तरफजाता हैजो आपकी पेंडिंग होती हैं। स्लीप एक्सपर्ट्स के मुताबिकसुबह उठकर टीवी और कंप्यूटर में बैठने केबजाय रीडिंग और मेडिटेशन करें। यह आपमें कामों को लेकर एकाग्रता लाएगा। ऐसी सिचुएशन में बेडरूम काटेंपरेचर भी कूल होना जरूरी है। 

मैरिड लाइफ की प्रॉब्लम्स 

 एक रिसर्च के मुताबिकएक खुश मैरिज लाइफ रुटीन में आने वाली कई प्रॉब्लम्स को खत्म करदेती हैं। लेकिन अगर यह उलझनों से भरी हैतो आपको नींद नहीं आएगी। इसके अलावाअगर बच्चा छोटा हैतोवह रात को कई बार उठता हैजिससे नींद बारबार खुलती है। धीरेधीरे यह आदत में  जाता हैजो नींद पूरी होने की वजह बनता है। 

मेडिकल इश्यू 

कई बार हेल्थ प्रॉब्लम्स के चलते भी आप अनिंद्रा के शिकार हो जाते हैं। थ्रोट इन्फेक्शनहार्ट प्रॉब्लम्सकिसी वजहसे दर्द और सर्दीजुकाम जैसी प्रॉब्लम्स के चलते भी लंग्स में प्रोपर हवा पास नहीं पहुंच पातीजिससे बारबार नींदटूटती है। 

उम्र की वजह से 

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिकअगर आपकी उम्र 50 से 60 साल के बीच हैतो आपकी नींद बच्चे की तरह नहीं होसकती। इस उम्र में नींद कच्ची होती है और कई बार खुलती है। इसलिए यह सोचकर परेशान  हों कि आपको नींदनहीं आती। 

हो सकती हैं प्रॉब्लम्स 

स्लीपिंग डिसऑर्डर से पीडि़त लोगो  को हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा कई गुना ज्यादा रहता है।नींद पूरी  होने से डायबिटीजवेट गेनहाई ब्लड प्रेशर और इरेग्युलर हार्ट बीटजैसी प्रॉब्लम्स  जाती हैं। नींद टायर्ड मसल्स को रिलैक्स करती हैं और आप दूसरे दिन की भागदौड़ के लिए रेडी होते हैं। यह आपको सही  तुरंत निर्णय लेने में मदद करती है। 


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आखिर क्या बात है जो आपको नींद नहीं आती ?

सुबह उठकर आप फ्रेश फील नहीं करते? छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है? तो यह लक्षण स्लीप सिंड्रोम के हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, 4 फीसदी ...

 

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