Call Us On: 8375-986-986

Saturday, December 8, 2018

हमारी मॉडर्न लाइफस्टाइल में कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो लंबे समय तक हमारा साथ नही छोड़ती। जिनमें से एक है स्पोंडिलोसिस की बीमारी। स्पोंडिलोसिस को हम स्पॉन्डिलाइटिस के नाम से भी जानते है।स्पोंडिलोसिस दो यूनानी शब्द ‘स्पॉन्डिल’ तथा ‘आइटिस’ से मिलकर बना है। स्पॉन्डिल का अर्थ है वर्टिब्रा तथा ‘आइटिस’ का अर्थ सूजन होता है इसका मतलब वर्टिब्रा यानी रीढ़ की हड्डी में सूजन की शिकायत को ही स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है। इसमें पीड़ित को गर्दन को दाएं- बाएं और ऊपर-नीचे करने में काफी दर्द होता है। स्पोंडिलोसिस की समस्या आम तौर पे स्पाइन यानी रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती है। स्पोंडिलोसिस रीढ़ की हड्डियों की असामान्य बढ़ोत्तरी और वर्टेबट के बीच के कुशन में कैल्शियम की कमी और अपने स्थान से सरकने की वजह से होता है।
आमतौर पर इसके शिकार 40 की उम्र पार कर चुके पुरुष और महिलाएं होती हैं। आज की जीवनशैली में बदलाव के कारण युवावस्था में ही लोग स्पॉन्डिलाइटिस जैसी समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या का सबसे प्रमुख कारण गलत पॉश्चर है, जिससे मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है। इसके अलावा शरीर में कैल्शियम की कमी दूसरा महत्वपूर्ण कारण है। एक दशक पहले के आंकड़ों से तुलना करें तो इस बीमारी के मरीजों की संख्या तीन गुनी बढ़ी है। वे युवा ज्यादा परेशान मिलते हैं, जो आईटी इंडस्ट्री या बीपीओ में काम करते हैं या जो लोग कम्प्यूटर के सामने अधिक समय बिताते हैं। अनुमानतः हमारे देश का हर सातवाँ व्यक्ति गर्दन और पीठ दर्द या जोड़ों के दर्द से परेशान लोग मिल जाते हैं।
स्पोंडिलोसिस के प्रकार
शरीर के विभिन्न भागों को प्रभावित करने के आधार पर स्पोंडिलोसिस तीन प्रकार का होता है
1. सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस
गर्दन में दर्द, जो सर्वाइकल को प्रभावित करता है वह सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस कहलाता है। यह दर्द गर्दन के निचले हिस्से, दोनों कंधों, कॉलर बोन और कंधों के जोड़ तक पहुंच जाता है। इससे गर्दन घुमाने में परेशानी होती है और कमजोर मांसपेशियों के कारण बांहों को हिलाना भी कठिन होता है।
2. लम्बर स्पोंडिलोसिस
इसमें स्पाइन के कमर के निचले हिस्से में दर्द होता है।
3. एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस
यह बीमारी जोड़ों को विशेष रूप से प्रभावित करती है। रीढ़ की हड्डी के अलावा कंधों और कूल्हों के जोड़ इससे प्रभावित होते हैं। एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस होने पर स्पाइन, घुटने, एड़ियां, कूल्हे, कंधे, गर्दन और जबड़े कड़े हो जाते हैं।
स्पोंडिलोसिस के सिम्पटम्स
  • गर्दन या पीठ में दर्द और उनका कड़ा हो जाना है।
  • यदि आपकी स्पाइनल कोर्ड दब गई है तो ब्लेडर या बाउल पर नियंत्रण खत्म हो सकता है।
  • इस रोग का दर्द हाथ की उंगलियों से सिर तक हो सकता है। उंगलियां सुन्न होने लगती हैं।
  • कंधे, कमर के निचले हिस्से और पैरों के ऊपरी हिस्से में कमजोरी और कड़ापन आ जाता है।
  • कभी-कभी सीने में दर्द होने लगता है और मांसपेशियों में सूजन आ जाती है।
  • स्पोंडिलिसिस का दर्द गर्दन से कंधों और वहां से होता हुआ हाथों, सिर के निचले हिस्से और पीठ के ऊपरी हिस्से तक पहुंच सकता है।
  • छींकना, खांसना और गर्दन की दूसरी गतिविधियां इन लक्षणों को और गंभीर बना सकती हैं।
  • शारीरिक संतुलन गड़बड़ा सकता है और समय बीतने के साथ दर्द का गंभीर हो जाता है।
  • स्पोंडिलोसिस की समस्या होने पर यह सिर्फ जोड़ो तक ही सीमित नहीं रहती। समस्या गंभीर होने पर बुखार, थकान, उल्टी होना, चक्कर आना और भूख की कमी जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
स्पोंडिलोसिस होने की अहम वजह
  • भोजन में पोषक तत्वों, कैल्शियम और विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों का कमजोर हो जाना हीस्पोंडिलोसिस होने का सबसे बड़ा कारण है।
  • बैठने या खड़े रहने का गलत तरीका आपको स्पोंडिलोसिस की समस्या का सामना करवा सकता है।
  • बढ़ती उम्र भी एक एहम कारण है स्पोंडिलोसिस होने का।
  • मसालेदार, ठंडी या बासी चीजों को खाने से भी स्पोंडिलोसिस हो सकता है।
  • आलस्य से भरी जीवनशैली आपको आगे चलके स्पोंडिलोसिस की परेशानी दे सकती है।
  • लंबे समय तक ड्राइविंग करना भी खतरनाक साबित हो सकता है।
  • महिलाओं में अनियमित पीरियड्स आना भी एक बड़ी वजह बन सकता है स्पोंडिलोसिस होने का।
  • उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों का क्षय होना भी एक कारण है ,अक्सर फ्रैक्चर के बाद भी हड्डियों में क्षय की स्थिति होने लगती है।
स्पोंडिलोसिस से राहत पाने के आसान तरीके
1. सेंधा नमक 
सेंधा नमक में मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा होने से यह शरीर के पीएच स्तर को नियंत्रित करता है और गर्दन की अकड़ और कड़ेपन को कम करता है।
2. लहसुन
आधे ग्लास पानी में दो चम्मच सेंधा नमक मिला कर पेस्ट बना लें और उसे गर्दन के प्रभावित क्षेत्र में लगाएं, या गुनगुने पानी में दो कप सेंधा नमक डाल कर रोजाना स्नान करें, इन दोनों ही तरीकों से काफी फायदा मिलेगा।
3. लहसुन
सुबह खाली पेट पानी के साथ कच्चा लहसुन नियमित खाएं अथवा तेल में लहसुन को पका कर गर्दन में मालिश करें, इससे दर्द में काफी राहत मिलेगी। दरसल लहसुन में दर्द निवारक गुण होता है और यह सूजन को भी कम करता है।
4. हल्दी
हल्दी असहनीय दर्द को खत्म करने में सबसे कारगर दवाई साबित हुई है। इतना ही नहीं यह मांसपेशियों के खिचांव को भी ठीक करता है।
5. तिल के बीज
तिल के गर्म तेल से गर्दन की हल्की मालिश 5 से 10 मिनट तक करें, फिर वहां गर्म पानी की पट्टी डालें, या आप एक ग्लास गुनगुने दूध में एक चम्मच हल्दी डाल कर पीएं, दर्द से निजात मिलेगी और गर्दन की अकड़ भी कम होगी। तिल में कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैगनीज, विटामिन के और डी काफी मात्रा में पाई जाती है जो हमारे हड्डी और मांसपेशियों के सेहत के लिए काफी जरुरी है। स्पांडलाइसिस के दर्द में भी तिल काफी कारगर है।
आराम पाने के अन्य तरीके
  • पौष्टिक भोजन खाएं, विशेषकर ऐसा भोजन जो कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर हो।
  • चाय और कैफीन का सेवन कम करें।
  • पैदल चलने की कोशिश करें। इससे बोन मास बढ़ता है और शारीरिक रूप से एक्टिव रहें।
  • नियमित रूप से व्यायाम और योग करें।
  • हमेशा आरामदायक बिस्तर पर सोएं। इस बात का ध्यान रखें कि बिस्तर न तो बहुत सख्त हो और न ही बहुत नर्म।
  • स्पोंडिलोसिस से पीड़ित लोग गर्दन के नीचे या पैरो के नीचे तकिया रखने की आदत से बचें। 
For More Information Call Us On : 8375-987-987
Visit Our Website : https://mahalaxmiayurvedic.com/

जाने क्या है स्पोंडिलोसिस की बीमारी

हमारी मॉडर्न लाइफस्टाइल में कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो लंबे समय तक हमारा साथ नही छोड़ती। जिनमें से एक है स्पोंडिलोसिस की बीमारी। स्पोंडिलोस...

Friday, November 16, 2018

केला ::- 
ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,
हड्डियों को मजबूत बनाता है,
हृदय की सुरक्षा करता है,
अतिसार में लाभदायक है,
खांसी में हितकारी है।
जामुन ::-
केन्सर की रोक थाम ,
हृदय की सुरक्षा,
कब्ज मिटाता है,
स्मरण शक्ति बढाता है,
रक्त शर्करा नियंत्रित करता है,
डायबीटीज में अति लाभदायक।
सेवफ़ल ::-
हृदय की सुरक्षा करता है,
दस्त रोकता है,
कब्ज में फ़ायदेमंद है,
फ़ेफ़डे की शक्ति बढाता है।
चुकंदर ::-
वजन घटाता है,
ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,
अस्थिक्छरण रोकता है,
केंसर के विरुद्ध लडता है,
हृदय की सुरक्षा करता है।
पत्ता गोभी ::-
बवासीर में हितकारी है,
हृदय रोगों में लाभदायक है,
कब्ज मिटाता है,
वजन घटाने में सहायक है,
केंसर में फ़ायदेमंद है।
गाजर ::-
नेत्र ज्योति वर्धक है,
केंसर प्रतिरोधक है,
वजन घटाने में सहायक है,
कब्ज मिटाता है,
हृदय की सुरक्षा करता है।
फूल गोभी ::-
हड्डियों को मजबूत बनाता है,
स्तन केंसर से बचाव करता है,
प्रोस्टेट ग्रंथि के केंसर में भी उपयोगी,
चोंट, खरोंच ठीक करता है।
लहसुन:
कोलेस्टरोल घटाती है,
रक्त चाप घटाती है,
कीटाणुनाशक है,
केंसर से लडती है।
शहद ::-
घाव भरने में उपयोगे है,
पाचन क्रिया सुधारती है,
एलर्जी रोगों में उपकारी है,
अल्सर से मुक्तिकारक है,
तत्काल स्फ़ूर्ती देती है।
नींबू ::-
त्वचा को मुलायम बनाता है,
केंसर अवरोधक है,
हृदय की सुरक्षा करता है,
ब्लड प्रेशर नियंत्रित करता है,
स्कर्वी रोग नाशक है।
अंगूर ::-
रक्त प्रवाह वर्धक है,
हृदय की सुरक्षा करता है,
केंसर से लडता है,
गुर्दे की पथरी नष्ट करता है,
नेत्र ज्योति वर्धक है।
आम ::-
केंसर से बचाव करता है,
थायराईड रोग में हितकारी है,
पाचन शक्ति बढाता है,
याददाश्त की कमजोरी में हितकर।
प्याज ::-
फ़ंगस रोधी गुण हैं,
हार्ट अटेक की रिस्क को कम करे,
जीवाणु नाशक है,
केंसर विरोधी है,
खराब कोलेस्टरोल को घटाना।
अलसी के बीज ::-
मानसिक शक्ति वर्धक है,
रोग प्रतिकारक शक्ति को ताकत दे,
डायबीटीज में उपकारी है,
हृदय की सुरक्षा करता है,
डायजेशन को ठीक करता है।
संतरा ::-
हृदय की सुरक्षा करता है,
रोग प्रतिकारक शक्ति उन्नत होना,
श्वसन पथ के विकारों में लाभकारी,
केंसर में हितकारी है।
टमाटर ::-
कोलेस्टरोल कम करता है,
प्रोस्टेट ग्रंथि के स्वास्थ्य के लिये उपकारी,
केंसर से बचाव करता है,
हृदय की सुरक्षा करता है।
पानी ::-
गुर्दे की पथरी नाशक है,
वजन घटाने में सहायक है,
केंसर के विरुद्ध लडता है,
त्वचा के चमक बढाता है।
अखरोट ::-
मूड उन्नत करन में सहायक है,
मेमोरी पावर बढाता है,
केंसर से लड सकता है,
हृदय रोगों से बचाव करता है,
कोलेस्टरोल घटाने मेँ मददगार है।
तरबूज ::-
स्ट्रोक रोकने में उपयोगी है,
प्रोस्टेट के स्वास्थ्य के लिये हितकारी है,
रक्तचाप घटाता है,
वजन कम करने में सहायक है
अंकुरित गेहूं ::-
बडी आंत की केंसर से लडता है,
कब्ज प्रतिकारक है,
स्ट्रोक से रक्षा करता है,
कोलेस्टरोल कम करता है,
पाचन सुधारता है।
चावल ::-
किडनी स्टोन में हितकारी है,
डायबीटीज में लाभदायक है,
स्ट्रोक से बचाव करता है,
केंसर से लडता है,
हृदय की सुरक्षा करता है।
आलू बुखारा ::-
हृदय रोगों से बचाव करता है,
बुढापा जल्द आने से रोकता है,
याददाश्त बढाता है,
कोलेस्टरोल घटाता है,
कब्ज प्रतिकारक है।
पाइनेपल ::-
अतिसार (दस्त) रोकता है,
वार्ट्स (मस्से) ठीक करता है,
सर्दी, ठंड से बचाव करता है,
अस्थि क्छरण रोकता है ,
पाचन सुधारता है।
जौ , जई ::-
कोलेस्टरोल घटाता है,
केंसर से लडता है,
डायबीटीज में उपकारी है,
कब्ज प्रतिकारक् है ,
त्वचा पर शाईनिंग लाता है।
अंजीर ::-
रक्त चाप नियंत्रित करता है,
स्ट्रोक्स से बचाता है,
कोलेस्टरोल कम करता है,
केंसर से लडता है,
वजन घटाने में सहायक है।
शकरकंद ::-
आंखों की रोशनी बढाता है,
मूड उन्नत करता है,
हड्डिया बलवान बनाता है,
केंसर से लडता है।

भोजन और स्वास्थ का सम्बन्ध

केला ::-  ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है, हड्डियों को मजबूत बनाता है, हृदय की सुरक्षा करता है, अतिसार में लाभदायक है, खांसी में हितकारी है...

 

© 2015 - Distributed By Free Blogger Templates | Lyrics | Songs.pk | Download Ringtones | HD Wallpapers For Mobile