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Monday, December 10, 2018


सुबह उठकर आप फ्रेश फील नहीं करते? छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है? तो यह लक्षण स्लीप सिंड्रोम के हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, 4 फीसदी से अधिक लोग इस समय स्लीप सिंड्रोम से पीडि़त हैं। जानते हैं कि नींद न आने की क्या वजह हो सकती हैं?

रात में आपकी बार-बार नींद टूटती है? कितनी ही देर बिस्तर पर लेट लें, सपनों की दुनिया में खोने का चांस नहीं मिलता। और अगर नींद आ भी जाए, तो यह गहरी नहीं होती। 
अगर इस तरह के आसार हैं, तो आपको स्लीप सिंड्रोम की प्रॉब्लम है। एक सर्वे के मुताबिक, इंडिया में 93 फीसदी लोग नींद न आने की प्रॉब्लम से परेशान हैं और 58 फीसदी लोगों के रुटीन पर नींद पूरी न होने का इफेक्ट सीधा पड़ता है। 
'नींद दो तरह की होती है। गहरी नींद यानी नॉन पिड आई मूवमेंट स्लीप और कच्ची नींद, जिसे सपनों वाली नींद भी कहते हैं। अगर नॉन पिड आई मूवमेंट स्लीप 5 घंटे की भी आ जाए, तो बॉडी रिलैक्स हो जाती है, लेकिन कच्ची नींद भले ही 8 घंटे की हो, वह बॉडी को रिलैक्स नहीं करती है। वह बताती हैं कि आमतौर पर नींद न आने की वजह होती हैं टेंशन और डिप्रेशन।' इसके अलावा, लाइफस्टाइल और बॉडी पेन भी नींद न आने की वजह बनता है। अवेयरनेस  न होने से लोग इसे मामूली चीज समझते हैं और डॉक्टर से कॉन्टैक्ट नहीं करते। दरअसल, सही तरह से नींद न आना कई बीमारियों की वजह बन सकती है। 
क्यों नहीं आती होगी नींद 

टाइम फिक्स्ड न होना 


दरअसल, लोग सोने का समय फिक्स नहीं रखते। कभी 10 तो कभी 11, जब मन किया, सो गए। इसके अलावा, रात को प्रॉपर नींद न आने की वजह एक खास वजह दिन में लंबे समय तक सोना भी है। यह तय है कि अगर आप दिन में कई घंटे सो जाएंगे, तो रात को प्रॉपर नींद कतई नहीं आने वाली। अगर दिन में सोना ही है, तो 20 मिनट काफी हैं। 

सोते समय टीवी देखना 

सोते समय टीवी देखना अवॉइड करें, क्योंकि टीवी पर चल रहे प्रोग्राम्स का काफी असर आपकी नींद पर पड़ता है। टीवी पर कोई मनपसंद प्रोग्राम आ रहा है, तो सोना ही भूल गए, इससे बचें। बजाय इसके अगर आप सोने से पहले 15 से 20 मिनट बुक रीडिंग की आदत डाल लेंगे, तो आपको अच्छी नींद आएगी। स्टडीज के मुताबिक, सोने जाने से पहले टीवी पर कोई हॉरर प्रोग्राम या सेड सीन देखने से भी नींद उड़ जाती है। 

कैफीन भगाए नींद

अगर आप भी सोने से पहले एक कप कॉफी या चाय पीने के शौकीन हैंतो अब इससे तौबा करें। दरअसलकैफीननींद को लाने की जगह भगा देती है।

 इसके अलावाअगर आप रात को हैवी मील लेते हैं और वो भी ठीक सोने सेपहलेतो तय है कि आप अपने लिए बिन बुलाई आफत ला रहे हैं। हैवी स्टमक रहने से आप तो रातभर अनईजीरहेंगे कीसाथ ही आपके डाइजेस्ट सिस्टम को भी एक्स्ट्रा काम करना पड़ेगा। 

हैवी वर्कआउट 

हैवी वर्कआउट भी नींद  आने की वजह बनता है। डॉक्टर्स के मुताबिकरोजाना आधा घंटे की एक्सरसाइज हीकाफी है। इससे आपके मसल्स  जॉइंट्स का वर्कआउट होगा और आपको अच्छी नींद आएगी। सोने से पहले गर्मपानी से नहाएं। दरअसलहॉट बेद टेंशन देने वाली मसल्स को रिलैक्स करता है। 

हेक्टिक शेड्यूल 

कई बार अपने हेक्टिक शेड्यूल के चलते भी आपको प्रोपर नींद नहीं  पाती। बारबार ध्यान उन चीजों की तरफजाता हैजो आपकी पेंडिंग होती हैं। स्लीप एक्सपर्ट्स के मुताबिकसुबह उठकर टीवी और कंप्यूटर में बैठने केबजाय रीडिंग और मेडिटेशन करें। यह आपमें कामों को लेकर एकाग्रता लाएगा। ऐसी सिचुएशन में बेडरूम काटेंपरेचर भी कूल होना जरूरी है। 

मैरिड लाइफ की प्रॉब्लम्स 

 एक रिसर्च के मुताबिकएक खुश मैरिज लाइफ रुटीन में आने वाली कई प्रॉब्लम्स को खत्म करदेती हैं। लेकिन अगर यह उलझनों से भरी हैतो आपको नींद नहीं आएगी। इसके अलावाअगर बच्चा छोटा हैतोवह रात को कई बार उठता हैजिससे नींद बारबार खुलती है। धीरेधीरे यह आदत में  जाता हैजो नींद पूरी होने की वजह बनता है। 

मेडिकल इश्यू 

कई बार हेल्थ प्रॉब्लम्स के चलते भी आप अनिंद्रा के शिकार हो जाते हैं। थ्रोट इन्फेक्शनहार्ट प्रॉब्लम्सकिसी वजहसे दर्द और सर्दीजुकाम जैसी प्रॉब्लम्स के चलते भी लंग्स में प्रोपर हवा पास नहीं पहुंच पातीजिससे बारबार नींदटूटती है। 

उम्र की वजह से 

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिकअगर आपकी उम्र 50 से 60 साल के बीच हैतो आपकी नींद बच्चे की तरह नहीं होसकती। इस उम्र में नींद कच्ची होती है और कई बार खुलती है। इसलिए यह सोचकर परेशान  हों कि आपको नींदनहीं आती। 

हो सकती हैं प्रॉब्लम्स 

स्लीपिंग डिसऑर्डर से पीडि़त लोगो  को हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा कई गुना ज्यादा रहता है।नींद पूरी  होने से डायबिटीजवेट गेनहाई ब्लड प्रेशर और इरेग्युलर हार्ट बीटजैसी प्रॉब्लम्स  जाती हैं। नींद टायर्ड मसल्स को रिलैक्स करती हैं और आप दूसरे दिन की भागदौड़ के लिए रेडी होते हैं। यह आपको सही  तुरंत निर्णय लेने में मदद करती है। 


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आखिर क्या बात है जो आपको नींद नहीं आती ?

सुबह उठकर आप फ्रेश फील नहीं करते? छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है? तो यह लक्षण स्लीप सिंड्रोम के हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, 4 फीसदी ...

Saturday, December 8, 2018

हमारी मॉडर्न लाइफस्टाइल में कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो लंबे समय तक हमारा साथ नही छोड़ती। जिनमें से एक है स्पोंडिलोसिस की बीमारी। स्पोंडिलोसिस को हम स्पॉन्डिलाइटिस के नाम से भी जानते है।स्पोंडिलोसिस दो यूनानी शब्द ‘स्पॉन्डिल’ तथा ‘आइटिस’ से मिलकर बना है। स्पॉन्डिल का अर्थ है वर्टिब्रा तथा ‘आइटिस’ का अर्थ सूजन होता है इसका मतलब वर्टिब्रा यानी रीढ़ की हड्डी में सूजन की शिकायत को ही स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है। इसमें पीड़ित को गर्दन को दाएं- बाएं और ऊपर-नीचे करने में काफी दर्द होता है। स्पोंडिलोसिस की समस्या आम तौर पे स्पाइन यानी रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती है। स्पोंडिलोसिस रीढ़ की हड्डियों की असामान्य बढ़ोत्तरी और वर्टेबट के बीच के कुशन में कैल्शियम की कमी और अपने स्थान से सरकने की वजह से होता है।
आमतौर पर इसके शिकार 40 की उम्र पार कर चुके पुरुष और महिलाएं होती हैं। आज की जीवनशैली में बदलाव के कारण युवावस्था में ही लोग स्पॉन्डिलाइटिस जैसी समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या का सबसे प्रमुख कारण गलत पॉश्चर है, जिससे मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है। इसके अलावा शरीर में कैल्शियम की कमी दूसरा महत्वपूर्ण कारण है। एक दशक पहले के आंकड़ों से तुलना करें तो इस बीमारी के मरीजों की संख्या तीन गुनी बढ़ी है। वे युवा ज्यादा परेशान मिलते हैं, जो आईटी इंडस्ट्री या बीपीओ में काम करते हैं या जो लोग कम्प्यूटर के सामने अधिक समय बिताते हैं। अनुमानतः हमारे देश का हर सातवाँ व्यक्ति गर्दन और पीठ दर्द या जोड़ों के दर्द से परेशान लोग मिल जाते हैं।
स्पोंडिलोसिस के प्रकार
शरीर के विभिन्न भागों को प्रभावित करने के आधार पर स्पोंडिलोसिस तीन प्रकार का होता है
1. सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस
गर्दन में दर्द, जो सर्वाइकल को प्रभावित करता है वह सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस कहलाता है। यह दर्द गर्दन के निचले हिस्से, दोनों कंधों, कॉलर बोन और कंधों के जोड़ तक पहुंच जाता है। इससे गर्दन घुमाने में परेशानी होती है और कमजोर मांसपेशियों के कारण बांहों को हिलाना भी कठिन होता है।
2. लम्बर स्पोंडिलोसिस
इसमें स्पाइन के कमर के निचले हिस्से में दर्द होता है।
3. एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस
यह बीमारी जोड़ों को विशेष रूप से प्रभावित करती है। रीढ़ की हड्डी के अलावा कंधों और कूल्हों के जोड़ इससे प्रभावित होते हैं। एंकायलूजिंग स्पोंडिलोसिस होने पर स्पाइन, घुटने, एड़ियां, कूल्हे, कंधे, गर्दन और जबड़े कड़े हो जाते हैं।
स्पोंडिलोसिस के सिम्पटम्स
  • गर्दन या पीठ में दर्द और उनका कड़ा हो जाना है।
  • यदि आपकी स्पाइनल कोर्ड दब गई है तो ब्लेडर या बाउल पर नियंत्रण खत्म हो सकता है।
  • इस रोग का दर्द हाथ की उंगलियों से सिर तक हो सकता है। उंगलियां सुन्न होने लगती हैं।
  • कंधे, कमर के निचले हिस्से और पैरों के ऊपरी हिस्से में कमजोरी और कड़ापन आ जाता है।
  • कभी-कभी सीने में दर्द होने लगता है और मांसपेशियों में सूजन आ जाती है।
  • स्पोंडिलिसिस का दर्द गर्दन से कंधों और वहां से होता हुआ हाथों, सिर के निचले हिस्से और पीठ के ऊपरी हिस्से तक पहुंच सकता है।
  • छींकना, खांसना और गर्दन की दूसरी गतिविधियां इन लक्षणों को और गंभीर बना सकती हैं।
  • शारीरिक संतुलन गड़बड़ा सकता है और समय बीतने के साथ दर्द का गंभीर हो जाता है।
  • स्पोंडिलोसिस की समस्या होने पर यह सिर्फ जोड़ो तक ही सीमित नहीं रहती। समस्या गंभीर होने पर बुखार, थकान, उल्टी होना, चक्कर आना और भूख की कमी जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
स्पोंडिलोसिस होने की अहम वजह
  • भोजन में पोषक तत्वों, कैल्शियम और विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियों का कमजोर हो जाना हीस्पोंडिलोसिस होने का सबसे बड़ा कारण है।
  • बैठने या खड़े रहने का गलत तरीका आपको स्पोंडिलोसिस की समस्या का सामना करवा सकता है।
  • बढ़ती उम्र भी एक एहम कारण है स्पोंडिलोसिस होने का।
  • मसालेदार, ठंडी या बासी चीजों को खाने से भी स्पोंडिलोसिस हो सकता है।
  • आलस्य से भरी जीवनशैली आपको आगे चलके स्पोंडिलोसिस की परेशानी दे सकती है।
  • लंबे समय तक ड्राइविंग करना भी खतरनाक साबित हो सकता है।
  • महिलाओं में अनियमित पीरियड्स आना भी एक बड़ी वजह बन सकता है स्पोंडिलोसिस होने का।
  • उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों का क्षय होना भी एक कारण है ,अक्सर फ्रैक्चर के बाद भी हड्डियों में क्षय की स्थिति होने लगती है।
स्पोंडिलोसिस से राहत पाने के आसान तरीके
1. सेंधा नमक 
सेंधा नमक में मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा होने से यह शरीर के पीएच स्तर को नियंत्रित करता है और गर्दन की अकड़ और कड़ेपन को कम करता है।
2. लहसुन
आधे ग्लास पानी में दो चम्मच सेंधा नमक मिला कर पेस्ट बना लें और उसे गर्दन के प्रभावित क्षेत्र में लगाएं, या गुनगुने पानी में दो कप सेंधा नमक डाल कर रोजाना स्नान करें, इन दोनों ही तरीकों से काफी फायदा मिलेगा।
3. लहसुन
सुबह खाली पेट पानी के साथ कच्चा लहसुन नियमित खाएं अथवा तेल में लहसुन को पका कर गर्दन में मालिश करें, इससे दर्द में काफी राहत मिलेगी। दरसल लहसुन में दर्द निवारक गुण होता है और यह सूजन को भी कम करता है।
4. हल्दी
हल्दी असहनीय दर्द को खत्म करने में सबसे कारगर दवाई साबित हुई है। इतना ही नहीं यह मांसपेशियों के खिचांव को भी ठीक करता है।
5. तिल के बीज
तिल के गर्म तेल से गर्दन की हल्की मालिश 5 से 10 मिनट तक करें, फिर वहां गर्म पानी की पट्टी डालें, या आप एक ग्लास गुनगुने दूध में एक चम्मच हल्दी डाल कर पीएं, दर्द से निजात मिलेगी और गर्दन की अकड़ भी कम होगी। तिल में कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैगनीज, विटामिन के और डी काफी मात्रा में पाई जाती है जो हमारे हड्डी और मांसपेशियों के सेहत के लिए काफी जरुरी है। स्पांडलाइसिस के दर्द में भी तिल काफी कारगर है।
आराम पाने के अन्य तरीके
  • पौष्टिक भोजन खाएं, विशेषकर ऐसा भोजन जो कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर हो।
  • चाय और कैफीन का सेवन कम करें।
  • पैदल चलने की कोशिश करें। इससे बोन मास बढ़ता है और शारीरिक रूप से एक्टिव रहें।
  • नियमित रूप से व्यायाम और योग करें।
  • हमेशा आरामदायक बिस्तर पर सोएं। इस बात का ध्यान रखें कि बिस्तर न तो बहुत सख्त हो और न ही बहुत नर्म।
  • स्पोंडिलोसिस से पीड़ित लोग गर्दन के नीचे या पैरो के नीचे तकिया रखने की आदत से बचें। 
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जाने क्या है स्पोंडिलोसिस की बीमारी

हमारी मॉडर्न लाइफस्टाइल में कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो लंबे समय तक हमारा साथ नही छोड़ती। जिनमें से एक है स्पोंडिलोसिस की बीमारी। स्पोंडिलोस...

 

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